Tuesday, February 5, 2013

अब हम भी दीदी बन गए

अब हम भी दीदी बन गए हैं. हमारी छोटी बहिन आ गई है...कल ३ फरवरी को हमारी छोटी सी बहिन का जन्म हुआ...वो बहुत-बहुत ही छोटी है....

दो दिन हो गए पर अभी तक हमने उसे देख भी नहीं पाए हैं....क्या करें, हम अभी घर में उरई में हैं ही नहीं....

आपको बतायें हम जबलपुर में हैं....यहाँ हमारा ननिहाल भी है पर हम नाना-नानी से मिलने नहीं आये हैं बल्कि यहाँ हमारी बुआ की शादी हो रही है, उसी में शामिल होने आये हैं...बुआ की शादी आज ही है...कल शादी हो जाने के बाद हम उरई पहुंचेंगे, अपनी छोटी बहिन को देखने के लिए....
 
हमें तो अभी से बहुत-बहुत अच्छा लग रहा है....ये सोचकर कि हमारी छोटी सी बहिन हमें दीदी कहेगी...

Thursday, November 22, 2012

बुआ की सगाई में मस्ती और धमाल


अभी हम सभी लोग अपनी बुआ की सगाई वाले कार्यक्रम में भोपाल गए थे. वहां एक होटल में कार्यक्रम रखा गया था. हम सभी लोग वहां खूब तैयार होकर पहुंचे थे.
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 जब वहां अन्दर पहुंचे तो एक चीज़ देखकर बहुत ही अच्छा लगा वहां खूब सारे गुब्बारे लगे हुए थे...खूब सारे लाल रंग के और खूब सारे सफ़ेद रंग के..हमने और हमारी दीदी (परी दीदी) ने खूब गुब्बारे फोड़े..
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उधर बुआ की सगाई का कार्यक्रम चल रहा था..इधर हम दोनों बहिनों ने मिलकर खूब गुब्बारे फोड़े..सच्ची बहुत मजा आया....



 हम दोनों ने मिलकर खूब आइसक्रीम भी खाई 



Saturday, September 29, 2012

स्कूल में हमारा भी हो गया एडमीशन


हम अपनी परी दीदी (बायीं ओर) के साथ
            आप सभी लोगों को हमारा नमस्ते। आप लोगों को एक अच्छी खबर देनी है। ये तो आपको पता ही है कि हमारी परी दीदी स्कूल जाने लगी हैं। उन्हीं की देखादखी हमें भी स्कूल जाने का मन करने लगा था। इसी कारण से हम बराबर अपने मम्मी-पापा से स्कूल में अपना एडमीशन करवाने के लिए कहा करते थे। 

            अभी 27 सितम्बर को हमारे मम्मी-पापा ने हमारा भी एडमीशन एक स्कूल में करवा दिया। हम पहले दिन तो अपना एडमीशन करवा कर लौट आये थे। उस दिन स्कूल की बड़ी मैडम जी ने हमें हमारी क्लास दिखाई और हमें पूरा स्कूल भी दिखाया था। हमें बहुत अच्छा लगा अपने स्कूल में। 


ये हैं हम...

                 अगले दिन यानि कि 28 सितम्बर को हमें स्कूल छोड़ने के लिए हमारे मम्मी-पापा गये। पहले तो हमें बहुत बुरा लगा जब वे दोनों लोग हमें स्कूल में अकेले छोड़कर जाने लगे। हम एकदम से रोने भी लगे फिर हमें हमारी मैडम जी ने गोद में ले लिया। मम्मी-पापा भी वापस घर चले गये। 

            हमारी मैडम जी हमें हमारी क्लास में लेकर गईं। वहाँ हमारे जैसे छोटे-छोटे से और भी बच्चे बैठे थे। उन्हें देखकर हमें लगा कि हम अकेले नहीं हैं यहाँ पर। बस हम सभी के साथ मिलकर खेलने लगे। उसके बाद से तो हम बिलकुल भी नहीं रोये। हमें बहुत मजा आया। 

            अब आज हमारे स्कूल की छुट्टी हो गई। कल रविवार है, अब परसों यानि कि सोमवार को स्कूल जाना होगा। हमारी ड्रेस वगैरह आ गई है...इसके बारे में आपको कल बतायेंगे। ठीक....।

Saturday, August 4, 2012

हमने अपने जन्मदिन पर काटा दो दिन, दो बार केक

          आप सभी को नमस्कार। अभी पिछले दिनों आप लोगों से यहीं मुलाकात की थी तब आपको बताया था न कि हमारा जन्मदिन 31 जुलाई को है। इस बार हमने अपना जन्मदिन उरई जाकर नहीं मनाया। इसका कारण ये था कि हमारे पापा को छुट्टी नहीं मिल पा रही थी। इसके चलते हमारी परी दीदी, हमारी दादी, हमारे बड़े पापा, बड़ी मम्मी हमारे पास ही आ गये थे। 


          एक खास बात बतायें आप सभी को, हमारा जन्मदिन इस बार दो दिन मनाया गया। पहले 31 जुलाई को हमारी परी दीदी, दादी वगैरह के साथ-साथ हमारे सनय दादा, बुआ, फूफा ने भी हमारे जन्मदिन को मनाया। इस दिन हमने अपने बुआ-फूफा के घर पर ही केक काटा। 


          केक काटने के पहले हमें हमारे पापा ने केक काटना सिखाया तो हमें चिढ़ाने के लिए हमारी परी दीदी और सनय दादा ने केक काटने का अभिनय किया। हमें लगा कि अब हम केक नहीं काट पायेंगे। पर ऐसा हुआ नहीं और केक हम ने ही काटा। 


          केक काटने के बाद हमें हमारे सनय दादा ने, परी दीदी ने, बुआ ने, फूफा ने केक खिलाया तो हमारी दादी ने आरती उतारी और बड़ी मम्मी ने हमारा टीका किया। 

    
      अगले दिन 1 अगस्त को फिर से हमारा जन्मदिन मनाया गया। इस दिन हमारा जन्मदिन घर में नहीं पास के एक अच्छे से होटल में मनाया गया। 


अबकी कानपुर से हमारे बुआ-फूफा भी आये थे और पापा के दोस्त लोग भी। और हां, होटल में भी हमने फिर से केक काटा था। केक काटने के बाद वहां आये बच्चों ने खूब जमकर गुब्बारे फोड़े। गुब्बारे फूटने से खूब जोर की आवाजें हो रही थीं और उससे आसपास के लोग आंखें फाड़-फाड़ कर हम सभी को देखने में लगे थे। 


          सच्ची बहुत मजा आया था, दो-दो दिन केक काटने को मिला और हम सबने मिलकर बहुत मस्ती की।  मजे का एक कारण और भी था अगले दिन रक्षाबन्धन था। हमने और परी दीदी ने अपने सनय दादा को राखी बांधी। अब इसके बारे में बाद में। ठीक...तब तक नमस्ते।

Sunday, July 29, 2012

हमारे जन्मदिन पर आ रही है हमारी पी दीदी

आप सभी को नमस्ते,
इधर बहुत-बहुत दिनों बाद आना हुआ। बहुत से काम थे इस कारण आप लोगों से मिलने का समय नहीं मिल पाया था। आज रविवार है, छुट्टी है इस कारण सोचा कि आप लोगों से कुछ बातचीत कर ली जाये।
कल शाम तक हमारी दादी, हमारे बड़े पापा और बड़ी मम्मी हमारे घर आयेंगी। उनके साथ हमारी परी दीदी, जिन्हें हम पी दीदी कहते हैं, भी आयेंगी। बहुत मजा आ रहा है, सोच-सोच कर कि जब वो आयेंगी तो खूब धमाल मचेगा।
धमाल होने का एक कारण और भी है, हमारा जन्मदिन 31 जुलाई को है। जी हां, वो सभी लोग इसी कारण से यहां आ रहे हैं। हमारे बुआ-फूफा और सनय दादा यहीं रहते हैं, हमारे पास। वे भी उस दिन हमारे घर आ जायेंगे।
अब हम चलते हैं, आप लोगों से फिर मिलने आयेंगे। हां, आप लोग 31 को हमें आशीर्वाद देना न भूलिएगा।

Tuesday, April 24, 2012

दीदी का जन्मदिन और पापा-मम्मी की शादी की सालगिरह

                आज अक्षया तृतीया है और आप सभी लोगों को शुभकामनायें। आज का दिन हमारे परिवार के लिए बहुत ही खास है। आपको शायद पता नहीं होगा कि ऐसा क्यों है? तो हम आपको बता देते हैं कि अक्षया तृतीया का दिन हमारे परिवार के लिए खास क्यों है।
                आज हमारी दीदी का जन्मदिन होता है। अंग्रेजी महीनों के अनुसार हमारी दीदी का जन्मदिन 7 मई को होता है पर हिन्दी महीनों के अनुसार उनका जन्मदिन आज अक्षया तृतीयाको होता है। दीदी का नाम इसी कारण से तो अक्षयांशीरखा गया है। इसी के साथ अक्षया तृतीया को हमारे मम्मी-पापा की शादी हुई थी। 
                हम अपने मम्मी-पापा के साथ एक पारिवारिक विवाह समारोह में उरई आये थे। आज उरई में घर पर ही रुके थे और अक्षया तृतीया का यह अवसर भी पड़ गया। बस फिर क्या था, घर में सभी ने मिलकर एक सादा सा कार्यक्रम मना लिया।





                केक लाया गया, मिठाई भी आई, कोल्ड ड्रिंक भी लाई गई। हमारे पड़ोस के हमारे दीदी-भैया लोगों को ही बुलाया गया। छोटी दादी भी आईं, वे पास में ही रहती हैं। दीदी ने केक काटा, हम भी उनके साथ खड़े हुए। दीदी को केक कटवाने में मम्मी-पापा ने भी मदद की और उन्हें केक भी खिलाया। 








                इसके बाद हमारी बड़ी मम्मी ने हमारे पापा और मम्मी को तिलक लगाकर उनकी शादी की सालगिरह की शुभकामनायें दी। 







                केक कटने के बाद पड़ोस के दीदी और भैया लोगों के साथ मिलकर हमने मिठाई खाई, केक खाया, कोल्ड ड्रिंक पी और खूब मस्ती की। बहुत ही मजा आया।
                अभी दीदी का जन्मदिन 7 मई को भी मनाया जायेगा और यदि पापा को छुट्टी मिल गई तो हम लोग उस दिन भी उरई आकर खूब मस्ती करेंगे।
                दीदी को जन्मदिन की शुभकामनायें।




Wednesday, October 26, 2011

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें


आप सभी को दीपावली की शुभकामनायें देने के लिए हम यहाँ आये हैं....

अभी तक हम लखनऊ में थे, कल ही घर आये हैं....

हम आज अपनी दीदी के साथ मिल कर खूब पटाखे चलाएंगे...खूब मिठाई खायेंगे...

आप सभी को दीपावली की शुभकामनायें

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दीवाली के दीयों से ख़ुशी सदा मिले,
खील-गट्टे की मिठास जीवन में रहे,
है कामना मिले सुख - समृद्धि,
ये दीपावली आपको गुलज़ार करे.

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दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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