Saturday, August 4, 2012

हमने अपने जन्मदिन पर काटा दो दिन, दो बार केक

          आप सभी को नमस्कार। अभी पिछले दिनों आप लोगों से यहीं मुलाकात की थी तब आपको बताया था न कि हमारा जन्मदिन 31 जुलाई को है। इस बार हमने अपना जन्मदिन उरई जाकर नहीं मनाया। इसका कारण ये था कि हमारे पापा को छुट्टी नहीं मिल पा रही थी। इसके चलते हमारी परी दीदी, हमारी दादी, हमारे बड़े पापा, बड़ी मम्मी हमारे पास ही आ गये थे। 


          एक खास बात बतायें आप सभी को, हमारा जन्मदिन इस बार दो दिन मनाया गया। पहले 31 जुलाई को हमारी परी दीदी, दादी वगैरह के साथ-साथ हमारे सनय दादा, बुआ, फूफा ने भी हमारे जन्मदिन को मनाया। इस दिन हमने अपने बुआ-फूफा के घर पर ही केक काटा। 


          केक काटने के पहले हमें हमारे पापा ने केक काटना सिखाया तो हमें चिढ़ाने के लिए हमारी परी दीदी और सनय दादा ने केक काटने का अभिनय किया। हमें लगा कि अब हम केक नहीं काट पायेंगे। पर ऐसा हुआ नहीं और केक हम ने ही काटा। 


          केक काटने के बाद हमें हमारे सनय दादा ने, परी दीदी ने, बुआ ने, फूफा ने केक खिलाया तो हमारी दादी ने आरती उतारी और बड़ी मम्मी ने हमारा टीका किया। 

    
      अगले दिन 1 अगस्त को फिर से हमारा जन्मदिन मनाया गया। इस दिन हमारा जन्मदिन घर में नहीं पास के एक अच्छे से होटल में मनाया गया। 


अबकी कानपुर से हमारे बुआ-फूफा भी आये थे और पापा के दोस्त लोग भी। और हां, होटल में भी हमने फिर से केक काटा था। केक काटने के बाद वहां आये बच्चों ने खूब जमकर गुब्बारे फोड़े। गुब्बारे फूटने से खूब जोर की आवाजें हो रही थीं और उससे आसपास के लोग आंखें फाड़-फाड़ कर हम सभी को देखने में लगे थे। 


          सच्ची बहुत मजा आया था, दो-दो दिन केक काटने को मिला और हम सबने मिलकर बहुत मस्ती की।  मजे का एक कारण और भी था अगले दिन रक्षाबन्धन था। हमने और परी दीदी ने अपने सनय दादा को राखी बांधी। अब इसके बारे में बाद में। ठीक...तब तक नमस्ते।