Wednesday, October 26, 2011

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें


आप सभी को दीपावली की शुभकामनायें देने के लिए हम यहाँ आये हैं....

अभी तक हम लखनऊ में थे, कल ही घर आये हैं....

हम आज अपनी दीदी के साथ मिल कर खूब पटाखे चलाएंगे...खूब मिठाई खायेंगे...

आप सभी को दीपावली की शुभकामनायें

+++++++++++++++++++++++++++++++

दीवाली के दीयों से ख़ुशी सदा मिले,
खील-गट्टे की मिठास जीवन में रहे,
है कामना मिले सुख - समृद्धि,
ये दीपावली आपको गुलज़ार करे.

+++++++++++++++++++++

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

+++++++++++++++++++++++++++++++++

Wednesday, March 9, 2011

चाचा की शादी सम्बन्धी कार्यक्रम -- हमने भी मजे किये








इस माह की छह तारीख को हमारे छोटे चाचा की शादी के सम्बन्ध में समारोह का आयोजन किया गया। चाची की गोद भराई और चाचा का तिलक।

गोद भराई की रस्म निभाते बड़े फूफा
==============================

चाची की गोद भराई की रस्म पूरा करती बड़ी बुआ
=====================================


चाचा का तिलक (दाहिनी तरफ चाचा)
==========================

सभी कार्यक्रम उरई के एक होटल से किये गये। हम सभी लोग भी उसमें शामिल हुए।

कार्यक्रम
के बाद सभी ने मिलजुल कर भोजन किया। हम अभी अपने हाथ से तो खाना नहीं खा पाते हैं तो हमें दादी अपनी गोद में बिठाकर खाना खिलाती हैं।


हमारे बुआ-फूफा, बाबा-दादी, चाचा-चाची लोग भी आये हुए थे। हमारे जन्म लेने के बाद घर में यह पहली शादी है। हमें तो अभी से बहुत मजा आ रहा है।
ये हैं हम

चाचा
की शादी अप्रैल माह में है। उसमें भी सभी लोग आयेंगे।

ये हैं हमारे चाचा-चाची

Saturday, January 15, 2011

जीजी सो रही तो हमारा साईकिल चलाना शुरू

ये लो हमने साइकिल भी चलाना शुरू कर दिया। वैसे ये वाली साइकिल हमारी नहीं है, ये तो हमारी जीजी की साइकिल है।






जब जीजी साइकिल चलाती है तो इसमें हमें भी बिठा लेती है। अभी हम दोनों ही छोटे-छोटे से हैं तो आसानी से इसमें बन जाते हैं।

आज जीजी सो रही थी तो हमने साइकिल चलाने की कोशिश की पर ये क्या, हमारे तो पैर ही नहीं पहुँच रहे थे पूरी तरह से।



चलो कोई बात नहीं पैर भले ही न पहुँचे हों पर हमने साइकिल अकेले तो चला ही ली।

Saturday, January 1, 2011

आज पहली तारीख से हम भी ब्लॉग-जगत में आ गए






नमस्ते,
आप लोग हमसे सीधे तौर पर भले ही परिचित न हों पर आप हमें जानते अवश्य ही हैं। हमारा नाम दिव्यांशी है और घर में हमें सभी लोग पलक कहते हैं।

ये हैं हम

आप लोग अभी भी शायद हमें पहचान न पाये हों, नहीं पहचाना न! दरअसल हमारी दीदीअक्षयांशी पिछले एक वर्ष से अधिक समय से ब्लॉग लेखन में लगीं हैं। वे ही हमारी चर्चा करती रहती हैं। अब पहचाने होंगे हमें।

ये बायीं तरफ हमारी दीदी हैं

हम भी अब आज नये वर्ष से आप सभी के बीच आये हैं। हमारा जन्म जुलाई 2009 को हुआ था और इस हिसाब से अभी हम मात्र डेढ साल के हो सके हैं। इस दृष्टि से आप भी अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि अभी हम कम्प्यूटर पर कुछ लिख-पढ़ नहीं सकते हैं। इसलिए हमारे बारे में हमारे ताउ जी या फिर हमारे पापा ही लिखेंगे।

ये भी हम ही हैं

आपको बता दें कि हमने कई बार ताउ जी के साथ या फिर पापा के साथ बैठकर कम्प्यूटर पर अपनी और दीदी की फोटो देखीं हैं। हमें अपनी फोटो देखकर अच्छा लगता है। इसी कारण से हमारा भी ब्लॉग बना दिया गया है। अभी तो हमारे बड़े लोग आपको हमारे बारे में बतायेंगे, बाद में हम स्वयं ही आपको अपने बारे में बतायेंगे।

नववर्ष
की शुभकामनाओं के साथ आज बस इतनी ही बात। कल से मुलाकात होती रहेगी।